वेदों के अध्ययन और प्रचार से दूर होंगे अंधविश्वास और पाखंडवाद: स्वामी अग्निवेश
अमर उजाला
Updated Wed, 20 Sep 2017 09:47 PM IST
अमर उजाला ब्यूरो हरिद्वार। देश में फैले अंधविश्वास, रूढ़िवाद, चमत्कारवाद, अवतारवाद, जाति, लिंगभेद के साथ अन्य पाखंडवाद के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए आर्य समाज के सदस्य एवं सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश सर्वधर्म के लोगों को लेकर हरकी पैड़ी से पूरे देश में यात्रा शुरू कर रहे हैं। प्रेसक्लब में पत्रकार वार्ता में यात्रा संबंधित जानकारी देते हुए स्वामी अग्निवेश ने बताया कि 21 सितंबर से यात्रा शुरू करते हुए एक अक्तूबर तक चलेगी। उन्होंने कहा कि देश में धर्म संप्रदाय के साथ अन्य कुरुीतियों ने भयावह रूप धारण कर लिया है, जिसके प्रति लोगों को फिर से वेदों की ओर जाना होगा। स्वामी अग्निवेश ने कहा कि आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती ने धर्मनगरी हरिद्वार में गंगा के तट पर पाखंड-खंडनी पताका फहराकर उस अंधकार की बेला को समाप्त करने के लिए जनता को आह्वान करते हुए वेदों की ओर लौटने को कहा। फिर से उसी अभियान की जरूरत है। लोगों को पाखंडवाद से जागरूक करने को बृहस्पतिवार को हरकी पैड़ी से यात्रा शुरू की जाएगी। जिसमें सबसे पहले वैदिक आश्रम भूपतवाला में विचार गोष्ठी होगी। आश्रम के बाद आर्य इंटर कालेज बहादराबाद में गोष्ठी होगी और शुक्रवार को आईआईटी रुड़की में व्याख्यान होगा। इसी दिन रुड़की में ही जामा मस्जिद और मदरसे में भी व्याख्यान होगा। शनिवार को सहारनपुर और देवबंद में दारुल उलूम में गोष्ठी होगी। यहां से फिर जयपुर के लिए रवाना होंगे। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण कि अंधविश्वास को मिटाओ तो गरीबी दूर होगी पर कोई कार्रवाई न होने पर चिंता जताई। बोले कि अंधविश्वास के प्रति बच्चों को जागरूक करने के लिए पाठ्यक्रम में लागू करना होगा। स्वामी अग्निवेश ने दावा किया कि आशाराम, रामपाल, राम रहीम जैसे संतों के पाखंडों का खुलासा करने में आर्य समाज के लोगों के महत्वपूर्ण भूमिका रही। उन्होंने कहा कि कई फर्जी संतों के पाखंडों को खुलासा शीघ्र किया जाएगा। उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री के बारे में कहा कि केजरीवाल ने समाजसेवी अन्ना हजारे का उपयोग करते हुए अपनी पार्टी बनाई और धीरे-धीरे दिग्गजों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। आर्य समाज के आश्रमों में चल रहे प्रॉपर्टी विवादों के सवाल पर उन्होंने कहा कि आश्रमों से महर्षि दयानंद का कोई संबंध नहीं रहा।